इस साल के अंत में होने जा रहे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीते चुनाव की पुनरावृत्ति हो सकती है। शिवसेना अगर ढाई-ढाई साल के लिए दोनों दलों के सीएम के फार्मूले पर अड़ी तो बीते चुनाव की तरह भाजपा अपने दम पर चुनाव मैदान में उतरने का फैसला कर सकती है। दबाव बनाने के लिए भले ही शिवसेना आधे कार्यकाल के लिए अपना सीएम मांग रही है, मगर पार्टी उसे विधानसभा की आधी सीटें भी देने के लिए तैयार नहीं है।

खटास भरे 5 साल के दौर के बाद दोनों दलों के बीच लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन हो तो गया, मगर नतीजे के बाद नए सिरे से मनमुटाव शुरू हुआ है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में फिर से पुराना और एक ही बर्थ मिलने से शिवसेना नाखुश है। इस बीच पार्टी प्रमुख उद्घव ठाकरे ने दबाव बनाने के लिए न सिर्फ फिर से अयोध्या की यात्रा की, बल्कि पार्टी ने चुनाव के बाद ढाई साल के लिए शिवसेना का सीएम बनाने की मांग कर दी है। इसके अलावा पार्टी भी से 288 सीटों में से आधी सीटों पर दावेदारी कर रही है।

राज्य से जुड़े भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक शिवसेना की ढाई साल के लिए अपना सीएम बनाने की बात तो दूर पार्टी उसे विधानसभा की आधी सीटें भी